
वास्तु में पौधों का महत्व क्या है इस बाबत हम बहुत कम लोग जानकारी रखते है । तो आज हम इसी विषय पर बात करते है।वास्तु के अनुसार अगर सही पौधा उचित दिशा में लगाया जाए और उसकी उचित देखभाल की जय तो यह पौधे हमारे जीवन में प्रगति , सुख शांति, आगे बढ़ने के अवसर और सकारात्मक प्रभाव पैदा करते है ।
वास्तु शास्त्र में हरियाली को बहुत महत्व दिया गया है। अगर हम सही दिशा में सही पौधे लगाते है तो उसका परिणाम उस वास्तु में रहने वाले लोगों को बहुत ही अच्छा परिणाम देता है गलत दिशा में गलत पौधे लगाने से आपको शारीरिक,मानसिक, आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
उत्तर पूर्व दिशा आप छोटे पौधे जैसे कि तुलसी, केला , पुदीना , दूर्वा, कुबेरक्षी, अपराजिता इत्यादि छोटे पौधे लगाना चाहिए।
तुलसी का पौधा विज्ञान के अनुसार हर वक्त प्राणवायु प्रदान करता है । शास्त्रोंके अनुसार भगवान विष्णु के सभी अवतारों की पूजा तुलसी पत्र के बिना अधूरी मानी जाती है ।
कहते है कि भगवान शालिग्राम की पिंडी बिना तुलसी पत्र नहीं होनी चाहिए उन्हें हर दिन तुलसीपत्र अर्पित करनी ही चाहिए । मान्यता के अनुसार तुलसी पत्र रविवार, एकादशी ,और मंगलवार ,को नहीं तोड़नी चाहिए और इस दिन तुलसी को पानी भी अर्पित नहीं करना चाहिए।तुलसी के पौधे पर मंजुली आती है तो उसे तुरंत ही तोड़कर भगवान को अर्पित कर देनी चाहिए ।मंजुली से आपके पौधे को नुकसान भी होता है ।
हमारे संस्कृति के अनुसार गर की स्त्रियां सुबह उतने के बाद अपने नित्य कर्म कर स्नान के बाद तुलसी के पौधे को पानी अर्पित करती है उसी तरह श्याम के समय तुलसी के पौधे के समीप दीप प्रज्वलन करती है शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पौधे को अति पवित्र माना जाता है।
केले के पौधे

तुलसी के पौधे के तरह ही केले के पौधे को भि वास्तु शास्त्र में पवित्र माना जाता है । केले के पौधे की पूजा करने से भगवान विष्णु तथा बृहस्पति ग्रह की कृपा आपके जीवन में होने लगती है जिससे हमारी आर्थिक समस्या का समाधान होता है।केले का पौधा हमारे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। जिनके कुंडली में गुरु ग्रह अनुकूल नहीं होता है उन्हें केले का पूजन हरदम करना चाहिए । गुरु ग्रह की कृपा से हमारे जीवन में आध्यात्मिक, तथा आरती उन्नति होती है।
पुदीना पौधे

घर के आंगन में पुदीना का पौधा हमारे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। पुदीना के पौधे से भीनी भीनी खुशबू उत्पन्न होती है जिससे हमें प्रशांत मिलती है । पुदीने के पौधे की तासीर ठंडी होती है । हमारे पूर्वज आज भी ग्रीष्म ऋतु में पुदीने का शरबत ,पुदीने की चटनी ,और अलग अलग प्रकार से पुदीने के पौधे का उपयोग कर के गर्मी में गर्म दाह को शांत करने के लिए उपयोग में लाते हे औषधि शास्त्र में भी पुदीने का बहुत महत्व माना गया है ग्रीष्म ऋतु के ज्वार में हमे पुदीने के पौधे के उपयोग से बहुत फायदा प्राप्त होता है ।
दूब या दूर्वा

घर के आंगन में दूब या दूर्वा लगाना भी बहुत अच्छा माना जाता है दूर्वा आंगन में लगाने से आपके आंगन में नमी रहती है क्योंकि दूर्वा पानी को रोक कर रखती है दूर्वा लगाने से हमे सदा हरियाली का अहसास होता है शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को दूर्वा अति प्रिय है बिना दूर्वा की भगवान गणेश की पूजा अपूर्ण मानी जाती है औषधि शास्त्र में भी दूर्वा का उपयोग किया जाता है ।घर के आंगन में दूर्वा होने से हम उसपर पानी का छिड़काव करते रहते है जिससे हमें ग्रीष्म ऋतु में ठंडक मिलती हैं।
कुबेराक्षी के पौधे

जैसा कि इस पौधे के नाम से ही हमे पता चलता है कि कुबेर भगवान को अति प्रिय होता है हमे हमारी मेहनत के अनुसार अर्थ की प्राप्ति नहीं होती है तब अपनीस पौधे का उपयोग से धनार्जन करने में इससे मदद प्राप्त कर सकते है वास्तु शास्त्र के अनुसार कुबेराक्षी के पौधे को हमारे मुख्य द्वार के दाएं तरफ लगाना शुभ होता है ।
कुबेराक्षी के पौधे को सीमित मात्र में पानी तथा सूर्य की रोशनी की व्यवस्था करनी चाहिए इस पौधे के गमले में गिरी हुए कुबेराक्षी के पौधे की गिरी हुई पत्तियों को साफ करते रहना चाहिए कुबेराक्षी पौधे को किसी लकड़ी सहारा देकर उसे ऊपर की ओर बढ़ने में मदद करनी चाहिए ।
अपराजिता या विष्णुप्रिया के पौधे

स्वर्ग से लाए गए पौधों में एक अपराजिता का पौधा माना जाता है इस पौधे या बेल को उत्तर दिया में लगाना शुभ होता हैं उत्तर दिशा पानी की दिशा याने जलतत्व की दिशा मानी जाती है जिसका रंग नीला होता है अपराजिता में आने वाले फूल भी मिले रंग के होते है इसलिए इस बेल को लगाने के लिए उत्तर दिशा उत्तम होती है
अपराजिता के फूल भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी को अति प्रिय माने जाते है अपराजिता के फूल भगवान शिव को अर्पित करने से भी हमारी मनोकामना पूर्ण होती है
अपराजिता के फूल भगवान विष्णु को गुरुवार के दिन तथा माता लक्ष्मी को शुक्रवार के दिन अर्पित करे इससे हमारी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलती है भगवान शिव को सोमवार को अर्पित करे ।अपराजिता के फूलों की पत्तियों को चाय की तरह पानी में उबालकर पीने से हमारी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को फायदा मिलता है अपराजिता । अपराजिता की बेल सही दिशा में होने से हमारे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है ।
अपराजिता के बेल को ठंड के मौसम में कम फूल आते । अपराजिता के बेल को गमले में भी लगाया जा सकता है उचित पानी तथा सूर्य प्रकाश से इस बेल पर सही प्रभाव होकर आपकी बेल हरीभरी रह सकती है। आप उत्तर दिशा में नीले गमले में मनी प्लांट भी लगा कर उससे अच्छे परिणाम प सकते है ।
इस तरह हम अपने घर में पूर्व , ईशान्य दिशा में इन छोटे पौधों को लगाकर उगते हुए सूर्य की स्वास्थ वर्धक किरणों को घर में प्रवेश करा सकते है जिससे हमारे सभी परिवार के परिजनों की सेहत अच्छी रखने में मदद मिलेंगी।
दक्षिण तथा पश्चिम दिशा — ऊंचे पेड़ो को सदा ही दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। जिसमें पीपल का पेड़ हमारे घर से कुछ दूरी पर खुले जगह में लगाना शुभ होता है इस पद की घर से थोड़ी दूरी पर इसलिए लगाया जाता थे क्योंकि इस पेड़ की जड़े काफी बड़ी और गहराई तक जाने वाली होती है जिससे घर को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है l
पीपल के पेड़ की पूजा श्याम के वक्त कर के उसके नीचे तेल का दीपक जलाया जाता है जिससे हमें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है । पीपल के पेड़ की पत्तियों को रविवार को नहीं तोड़ना चाहिए । पीपल के पेड़ से अनेक उपाय किए जाते है जिसकी चर्चा विस्तार से हमारे अगले लेख में आपको अवगत हो जाएंगे । इस दिशा में सफेद रंग के फूलों वाले पेड़ जैसे कि मोगरा,शादफुली ,चमेली ,आदि इस दिशा में लगाने से लाभ एवं प्राप्तियां बाद जाते है बच्चों में रचनात्मक शक्ति विकसित होने मदद मिलती है ।
उत्तर पश्चिम दिशा — अब हम उत्तर पश्चिम दिशा याने कि वायव्य कोण के पेड़ के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में बेलपत्र का पेड़ अति उत्तम माना गया है । इस दिशा में बेलपत्र का पेड़ लगाने से आपके वास्तु के सारे वास्तुदोष खत्म हो जाते है ।
भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय है इस बेलपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा अपूर्ण मानीजाती है बेलपत्र के पेड़ हमारे आंगन में या घर के बालकनी के वायव्य कोण में लगाने से हमारे घर में आने वाली सारी नकारात्मक ऊर्जा,से बचे रहते है यह पेड़ वास्तुदोष को दूर कर घर में सुख समृद्धि का वास करा कर वाह्यरहणे वाले सदस्यों को यशस्वी और तेजवान बनता है । बेलपत्र तथा इस के फल को आयुर्वेद में अति महत्व दिया गया है । पेट की दाह शांत करने के लिए बेल के फल का मुरब्बा तथा शरबत अति उत्तम होता है ।
दक्षिण पूर्व दिशा — दक्षिण पूर्व दिशा याने कि आग्नेय कोण होता है इस दिशा में लाल रंग अति उत्तम माना गया है इस दिशा में लाल फूलों वाले पेड़ जैसे कि लाल गुलाब , जासवंद , अनार इत्यादि पेड़ लगाना उत्तम होता है अनार हृदय रोग , वमन इत्यादि रोगों में बहुत लाभकारी होता है ।
इसे घर से बाहर आग्नेय कोण में लगाने से सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है लाल रंग के फूल जीवन में ऊर्जा ,उमंग भरते है आग्नेय कोण या दक्षिण दिशा में लगे हुए लाल फूल हमे प्रसिद्धि और या प्रदान करते है क्योंकि दक्षिण दिशा प्रसिद्धि और यश प्रदान करने वाली दिशा भी मानी जाती है दीवार पे चढ़ने वाली बेल या मनीप्लांट की बेल भी इस दिशा के लिए उत्तम मानी जाती है ।
वास्तु शास्त्र के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह पूर्व से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण एवं ईशान्य और नेतृत्य दिशा की ओर बाहरी है ।इसलिए हमे उत्तर ,पूर्व,और ईशान्य कोण में कम घने , और छोटे पौधे ही लगाना ही उत्तम होते है ताकि सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में कई भी बाधा उत्पन्न न हो ।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कांटेदार , बोनसाई,तथा दूध वाले पौधे न लगाए घर में ऐसे पौधे लगाए जिससे हमें सकारात्मक ऊर्जा,प्राणवायु प्राप्त हो जिससे हमारी ऊर्जा एवं प्राप्तियां प्राप्त होकर सुख ,सौभाग्य, समृद्धि की प्राप्ति हो ।
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