HAPPY NAVRATRI
मित्रो आज हम मां चंद्रघंटा की पूजा विधि एवं उपाय जानेंगे नवरात्री का ३ रा दिन मां चंद्रघंटा की आराधना करने का विधान है इस साल यह ६/१०/२४ दिन शनिवार को आ रहा है
पौराणिक कथाओं में मां दुर्गा देवी का यह रूप अति सुन्दर,और चंद्र की शीतलता लिए हुवे है ।
चंद्र के समान ma के इस रूप में सुगंध और घंटी के दिव्य ध्वनिया इनका आभास होता है ।माता के इस रूप का वाहन सिंह है । माता का यह रूप शांति तथा कल्याण प्रदान करता है l माता का मुकुट घंटी के आकार के साथ अर्ध चंद्र से सुशोभित है इसलिए इन्हे चंद्रघंटा देवी कहा जाता है l माता को इस रूप में भूरा, तथा पीला रंग पसंद है l इसलिए माता की उपासना पीले वस्त्र पहनकर की जाती है l माता को पीले फूल ,कमल के फूल अति प्रिय है
नवरात्री के तीसरे (तृतीया)को प्रातः उठकर स्नान कर मां की पूजा साधक पीले वस्त्र धारण कर मां के सामने गाय के घी का दीपक प्रज्वलित कर मां को धूप , दीप, तिलक ,सुहाग की सामग्री चुनरी,चूड़ी, कुकू,हल्दी,पीले फूल का हार,कमल के फूल और दूध से बनी हुवि मिठाई या खीर का प्रसाद अवश्य अर्पित करे उसके बाद मां का मंत्र “या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”इस मंत्र का एक माला जप करे उसके बाद मां की आरती एवं कपूर आरती करे
उपाय–धनलाभ के लिए माता को ५ पीली कौड़ी अवश्य अर्पित करे और मां से प्रार्थना करे की जो भी हमारे घर धन आने की बाधा है उसे दूर करे उपरांत पीले वस्त्र में वह कौड़ी ,पीली हल्दी की १गांठ,१सिक्का लेकर बांधकर अपने घर के तिजोरी में रख देने से धन की कमी दूर होती हैं और समृद्धि आती है
जिस भी जातक के कुंडली में मंगल दोष है वह जातक मां की पूजा आराधना कर मां को तांबे का १ सिक्का तथा दूध से बनी मिठाई अर्पित कर ॐ अं अंगार काय नमः इस मंत्र का जाप करे मंगल दोष निवारण हेतु प्रार्थना करे और पूजा उपरांत वह तांबे का सिक्का लेकर अपने पास रखे इससे मंगल ग्रह के दोष की तीव्रता कम हो जाती हैं navratri
जिस जातक के कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर होता है जिसके कारणभौतिक सुख की कमी ,मन अशांत , रहता है मन बेचैन हो गया है उस जातक ने माता चंद्रघंटा की पूजा आराधना करने से जातक का मन शांत होकर स्थिर हो जाता हैं जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य समस्या का हल शांति से निकल कर निर्णय लेता है उसके सुख समृद्धि में वृद्धि होती है तथा वह भौतिक सुखों को प्राप्त करता है
ll जय माता रानी ll
मां चंद्रघंटा कोन है ?
मां चंद्रघंटा माता दुर्गा का तीसरा रूप हैं, जिन्हें नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा जाता है। इनका नाम “चंद्रघंटा” इसलिए पड़ा क्योंकि उनके माथे पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित है। यह रूप मां शक्ति का युद्ध की मुद्रा में होता है, जिसमें वे राक्षसों और बुराई का नाश करती हैं।
मां चंद्रघंटा का यह रूप शौर्य, साहस, और वीरता का प्रतीक है। वे सिंह पर सवार होती हैं और उनके दस हाथ होते हैं, जिनमें विभिन्न शस्त्र धारण किए हुए होते हैं। इनके स्वरूप से यह संदेश मिलता है कि जीवन में साहस और आत्मविश्वास से सभी बुराइयों और कठिनाइयों का सामना करना चाहिए।
उनकी आराधना करने से साधक के जीवन में सुख, शांति और संतुलन आता है और सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
माँ चंद्रघंटा की कहानी….navratri
मां चंद्रघंटा की एक प्रसिद्ध कथा देवी दुर्गा के तीसरे रूप से जुड़ी हुई है, जो उनके साहस, वीरता, और पराक्रम को दर्शाती है। यह कथा उनके द्वारा राक्षसों के संहार और देवताओं की रक्षा से संबंधित है।
कहानी इस प्रकार है:
जब राक्षस महिषासुर ने अपनी शक्तियों के मद में आकर स्वर्ग पर आक्रमण किया और देवताओं को पराजित कर दिया, तब सभी देवता भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा के पास गए। देवताओं की सहायता के लिए इन तीनों ने अपनी शक्तियों से एक देवी की उत्पत्ति की, जो महिषासुर का संहार कर सके। वह देवी थीं दुर्गा, जिनका तेज और रूप देखकर सभी देवताओं ने उन्हें अपने-अपने शस्त्र और आशीर्वाद दिए।
जब महिषासुर को देवी दुर्गा की शक्ति का पता चला, तो उसने उन्हें युद्ध के लिए चुनौती दी। इस युद्ध में मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का रूप धारण किया, जिसमें उनके माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित था और उनके दस हाथों में विभिन्न शस्त्र थे। वे सिंह पर सवार होकर रणभूमि में पहुंचीं और अपने घंटे की तेज ध्वनि से राक्षसों को भयभीत कर दिया।
महिषासुर और उसकी सेना ने मां चंद्रघंटा पर प्रहार करने की कोशिश की, लेकिन देवी ने अपने शौर्य से सभी राक्षसों को एक-एक करके पराजित किया। अंततः मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध किया और देवताओं को उनके अधिकार वापस दिलाए।
यह कथा मां चंद्रघंटा की अपार शक्ति, धैर्य और साहस को दर्शाती है। उनके उपासक उनकी आराधना करके निडरता, आत्मविश्वास, और जीवन की चुनौतियों से लड़ने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
माँ चंद्रघंटा का महत्व.
मां चंद्रघंटा की शक्तियां उनके अद्वितीय स्वरूप और उनकी वीरता से जुड़ी हुई हैं। उनका यह रूप शक्ति, साहस, और शांति का प्रतीक है। मां चंद्रघंटा की प्रमुख शक्तियां और उनके भक्तों के लिए उनका महत्व इस प्रकार है:
1. वीरता और साहस:
मां चंद्रघंटा का स्वरूप एक योद्धा देवी का है, जो सिंह पर सवार होती हैं और उनके दस हाथों में शस्त्र होते हैं। उनकी यह शक्ति हमें कठिनाइयों और चुनौतियों से निडर होकर लड़ने की प्रेरणा देती है। जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए उनकी पूजा करने से साहस और आत्मविश्वास मिलता है।
2. शत्रुओं का नाश:
मां चंद्रघंटा ने महिषासुर जैसे राक्षसों का नाश किया। उनके आशीर्वाद से भक्तों को शत्रुओं से सुरक्षा और विपरीत परिस्थितियों में जीत प्राप्त होती है। अगर जीवन में कोई भी बाहरी या आंतरिक नकारात्मकता होती है, तो मां की आराधना से वह नष्ट हो जाती है।
3. मानसिक शांति:
हालांकि मां चंद्रघंटा का रूप उग्र है, लेकिन वे अपने भक्तों को आंतरिक शांति प्रदान करती हैं। उनके दर्शन से मन का संतुलन और शांति बनी रहती है। उनकी साधना से मानसिक तनाव, चिंता और भय से मुक्ति मिलती है। navratri
4. सकारात्मक ऊर्जा:
मां चंद्रघंटा के आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उनकी उपासना करने से शरीर और मन दोनों ही ऊर्जावान रहते हैं, जिससे जीवन में उत्साह और उमंग बना रहता है।
5. आध्यात्मिक विकास:
मां चंद्रघंटा की साधना आध्यात्मिक विकास के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। उनकी कृपा से व्यक्ति का ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे साधक अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच पाता है।
6. स्वास्थ्य और समृद्धि:
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति, और सौभाग्य का आगमन होता है।
7. आत्म-संयम और धैर्य:
मां चंद्रघंटा की साधना करने से व्यक्ति के भीतर आत्म-संयम, धैर्य, और सहनशीलता की भावना विकसित होती है। वे अपने भक्तों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में संतुलन बनाए रखने की शक्ति प्रदान करती हैं।
निष्कर्ष:
मां चंद्रघंटा की शक्तियां हमें न केवल बाहरी समस्याओं से लड़ने की शक्ति देती हैं, बल्कि हमें आंतरिक रूप से भी मजबूत बनाती हैं। उनकी पूजा से हम नकारात्मकता से मुक्ति पाते हैं और जीवन में शांति, साहस, और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
मां चंद्रघंटा की आरती
जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।
तू सब संकट हारिणी, जय मां चंद्रघंटा॥
पापों को हरने वाली, दुखियों का दुख हरती।
संतन की रक्षा करके, जग में नाम कमाती॥
जय मां चंद्रघंटा…
तेरा शुभ्र रूप है प्यारा, जिस पर है ध्यान लगाती।
जो कोई ध्यान लगाता, मनवांछित फल पाता॥
जय मां चंद्रघंटा…
तू है शक्ति ज्ञान की, तू ही हो भक्ति दान की।
शरण पड़े जो तेरी, संतानें सफल उसकी॥
जय मां चंद्रघंटा…
हर जगह जयकारा है, तेरा ही उजियारा है।
तू ही सबकी पालनहारिणी, जय मां चंद्रघंटा॥
जय मां चंद्रघंटा…
सादर भक्ति से जो भी, तेरा गुण गाते हैं।
वह अमृत फल पाते हैं, दुख उनके मिट जाते हैं॥
जय मां चंद्रघंटा…
जो सच्चे मन से गाए, ध्यान तेरे जो लगाए।
संपत्ति सुख पाता है, जीवन में वह सफल हो जाए॥
जय मां चंद्रघंटा…