आधुनिक जीवन में वास्तु का महत्व -Importance of Vaastu in modern life

आधुनिक जीवन में वास्तु का महत्व

हर व्यक्ति का सपना होता है कि हमारा भी खुद का घर होना चाहिए जिसके लिए हम पैसा कमाने के लिए दिन रात मेहनत करते रहते है हर व्यक्ति चाहता है कि हमारा जीवन जैसा भी रहा ही हमारे बच्चों का जीवन अच्छा और सुखमय होना चाहिए इसी भाग दौड़ में हम तैयार घर या जिस भी तरीके से घर बना लेते है हम हमारे घर को आधुनिक बनाना चाहते है इस आधुनिकता के कारण कई बार हम वास्तु शास्त्र को नजर अंदाज कर देते है


हम हमारे वास्तु के निर्माण के समय में अगर आधुनिकता के साथ वास्तु का विचार कर अगर वास्तु का विचार कर के वास्तु निर्माण करते है तो हमें हमारे वास्तु से सुख शांति आर्थिक फायदे और प्रगति में मदद मिलती है


आज के वक्त फ्लैट का कल्चर काफी चल रहा है जिसमें वास्तु का कोई भी विचार न करते हुए जगह के अनुसार वास्तु निर्माण किया जाता है और हम भी वक्त के कमी कारण ऐसी घर खरीद लेते है जिससे भविष्य में हमे परेशानी का सामना करना पड़ता है हमारे ग्रंथों में भी वास्तु का उल्लेख किया गया है

वास्तु मे किन बातों का ध्यान रखे


वास्तु के अनुसार घर मिलना या वास्तु अनुसार घर का निर्माण ही होना चाहिए यह आज के वक्त में संभव नहीं है परंतु वास्तु के मुख्य नियम के अनुसार घर हो या घर निर्माण करे तो वह हमें लाभदाई सिद्ध हो सकता है वास्तु में मुख्य रूप से घर का मुख्य द्वार , मंदिर ,किचन,बेड रूम, शौचालय ,पानी का स्रोत ,पानी की निकासी,इत्यादि मुख्य बातों पर ध्यान देना चाहिए


जैसे कि घर का मुख्य द्वार पूर्व, ईशान्य,या उत्तर में होना श्रेष्ठ होता है

पूर्व और उत्तर दिशाएं सूर्य प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है

उसी तरह घर में मंदिर ईशान्य,पूर्व, उत्तर दिशा में शुभ होता है

अगर इस दिशा में जगह न हो तो पश्चिम में भी मंदिर या भगवान का स्थान बना सकते है

परंतु सीढ़ियों के नीचे कभी भी मंदिर की स्थापना नहीं करना चाहिए

पश्चिम दिशा में मंदिर की स्थापना करते समय भगवान का मुख पूर्व दिशा में हों यह आवश्यक होता है किचन में मंदिर की स्थापना नहीं करनी चाहिए

घर का किचन की मुख्य दिशा आग्नेय कोण याने कि पूर्व और दक्षिण दिशा के बीच की दिशा होती है किसी कारण से इस दिया में जगह न हो तो पश्चिम दिशा,और पूर्व दिशा में भी किचन बना सकते है किचन के खाना बनाने के वक्त गृहिणी का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए उत्तर या ईशान्य कोण में कभी भी किचन नहीं बनाना चाहिए

इसी तरह मुख्य शयन कक्ष यानी घर के बड़े या घर के चालक का शयन कक्ष दक्षिण पश्चिम दिशा नैऋत दिशा में होना चाहिए शयन कक्ष में पलंग नेरुत्य कोण में इस तरह लगाएं कि सोते वक्त व्यक्ति का सिर दक्षिण और पैर उत्तर दिशा में हो अगर किसी वजह से यह मुमकिन न हो तो पूर्व में सिर करकर भी शयन किया जा सकता है शयनकक्ष में फर्नीचर दक्षिण दिशा में होना चाहिए मेहमानों का शयन कक्ष वायव्य कोण में होना चाहिए घर के बड़े बेटे का शयन कक्ष दक्षिण दिशा में उत्तम माना गया है

शौचालयके लिए पश्चिम और दक्षिण दिशा से नेरुत्य कोण के पहले की दिशा होती है स्नानगृह पूर्व में उत्तम माना गया है परंतु आज के समय में शौचालय और स्नानगृह एक ही जगह बनाए जाते है जिसमें स्नान की जगह अलग होनी चाहिए ऐसे शौचालय में एक कटोरी में समुद्री नमक डाल कर रखना चाहिए और माह के पूर्ण होने पर उस नमक को पानी में प्रवाहित कर के नया नमक भरकर रखने से वहां से उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है शौच करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर में होना चाहिए


पानी हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है है हमारे शरीर में १/३ पानी होता है पानी के बग़ैर हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते वास्तु शास्त्र में पानी को बहुत महत्व दिया गया है पानी का स्रोत हर हाल में ईशान्य, उत्तर, या पूर्व ईशान्य में होना चाहिए कुआं,बोरिंग,अंडर ग्राउंड पानी की टंकी इन्हीं दिशाओं में होनी चाहिए अपर पानी की टंकी पश्चिम दिशा में होनी चाहिए ब्रांड के पानी की निकासी पूर्व ,

ईशान्य या उत्तर दिशा में होनी चाहिए इसी तरह घर में एक ही लाइन में तीन द्वार नहीं होना चाहिए वास्तु में द्वार ,और खिड़की सम संख्या में होना चाहिए पर १०की संख्या में नहीं होना चाहिए वास्तु में द्वार और खिड़कियां ज्यादा से ज्यादा पूर्व और उत्तर दिशा में होना शुभकारी होता है
ये मुख्य नियमों का पालन कर के भी हम वास्तु से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर के हम अपना जीवन सुखमय बना सकते है जरूरी नहीं कि वास्तु में तोड़ फोड़ ही किया जाए हम कुछ वास्तु उपायों को भी अपनाकर अपने वास्तु से अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते है


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